उत्तर प्रदेश में बिजली विभाग के निजीकरण के खिलाफ बिजली कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने मोर्चा खोल दिया है। समिति ने “ज्ञापन दो अभियान पखवाड़ा” के तहत प्रदेश के उपमुख्यमंत्री बृजेश पाठक नेता प्रतिपक्ष माता प्रसाद पांडे, पूर्व केंद्रीय मंत्री कौशल किशोर सहित कई विधायकों को ज्ञापन सौंपा। संघर्ष समिति का आरोप है कि पावर कॉरपोरेशन के अध्यक्ष ने ट्रांजैक्शन कंसल्टेंट मेसर्स ग्रांट थॉर्टन की नियुक्ति रद्द करने की फाइल को जानबूझकर दबा रखा है। समिति ने बताया कि ग्रांट थॉर्टन पर अमेरिका में 40,000 डॉलर की पेनल्टी लग चुकी है, जिसे कंपनी ने स्वयं स्वीकार किया है। इसके चलते इंजीनियर ऑफ द कॉन्ट्रैक्ट ने कंपनी को ब्लैकलिस्ट करने और नियुक्ति रद्द करने की सिफारिश की है। लेकिन 4 दिन बीतने के बावजूद इस पर कोई फैसला नहीं लिया गया है। संघर्ष समिति ने आरोप लगाया कि पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण में शुरू से ही भ्रष्टाचार की बू रही है। पहले कनफ्लिक्ट ऑफ इंटरेस्ट का प्रावधान हटाया गया और अब जिस कंपनी की नियुक्ति में फर्जीवाड़ा सामने आया है, उसके खिलाफ कार्रवाई नहीं की जा रही। समिति ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की “भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस” नीति की अनदेखी का आरोप लगाते हुए कहा कि पावर कॉरपोरेशन के अधिकारी इस नीति की खुलेआम धज्जियां उड़ा रहे हैं। प्रदेश भर में निजीकरण के खिलाफ आज व्यापक विरोध-प्रदर्शन हुए। राजधानी लखनऊ में उपमुख्यमंत्री बृजेश पाठक, पूर्व केंद्रीय मंत्री कौशल किशोर और विधायक जय देवी को ज्ञापन सौंपा गया। सिद्धार्थनगर में नेता प्रतिपक्ष माता प्रसाद पांडे और गोंडा में राज्य मंत्री संजीव कुमार को ज्ञापन दिया गया। कई अन्य जिलों में भी विधायकों को ज्ञापन दिए गए। संघर्ष समिति ने साफ कर दिया है कि जब तक निजीकरण की प्रक्रिया को रोका नहीं जाता, आंदोलन जारी रहेगा।
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