फतेहपुर के बिंदकी तहसील अंतर्गत ग्राम मुसाफा की गाटा संख्या 1485ड./0.0810 हेक्टेयर कृषि भूमि, जो हरिजन जाति के राजाराम पुत्र ननकू कोरी को पट्टे पर दी गई थी, को नियमों को दरकिनार करते हुए पिछड़ी और सामान्य जातियों को बेच दिया गया। इस पूरे प्रकरण में तहसीलदार और नायब तहसीलदार स्तर के अधिकारियों की संलिप्तता सामने आ रही है। पट्टेधारी राजाराम द्वारा दिनांक 27 मई 2020 को उक्त भूमि अपने छोटे पुत्र ब्रजनन्दन को बेची गई, जो स्वयं भी अनुसूचित जाति से संबंधित हैं। परंतु इसके बाद ब्रजनन्दन ने कई बार उक्त भूमि को अन्य जातियों को बेचते समय अपनी जाति को छिपाया और खुद को हरिजन न बताकर सामान्य श्रेणी का दर्शाया।ब्रजनन्दन द्वारा 2022 से 2025 के बीच कुलदीप गुप्ता (दोसर बनिया), उत्तम कुर्मी और मेघा वर्मा (स्वघोषित कोरी जाति) के पक्ष में अलग-अलग हिस्सों की रजिस्ट्री की गई, जिनमें से कई रजिस्ट्रियों में स्पष्ट रूप से जाति का फर्जी उल्लेख किया गया। आश्चर्यजनक रूप से नायब तहसीलदार मलवां श्रीमती रचना यादव और तहसीलदार बिंदकी श्री सर्वेश कुमार गौर द्वारा बिना जाति सत्यापन के इन सभी नामांतरणों को स्वीकृति दे दी गई।बड़ा सवाल यह है कि क्या तहसील प्रशासन ने जानबूझकर आंखें मूंद लीं या फिर इस फर्जीवाड़े में अधिकारी खुद भी भागीदार हैं? नियमों के अनुसार, अनुसूचित जाति को दी गई पट्टे की भूमि को विक्रय करने के लिए सक्षम न्यायालय से पूर्व अनुमति अनिवार्य होती है। इस मामले में ऐसी कोई अनुमति नहीं ली गई, फिर भी रजिस्ट्री और नामांतरण दोनों संपन्न हुए। ग्रामीणों और शिकायतकर्ता विवेक सिंह ने जिलाधिकारी से मांग की है कि इस पूरे मामले की उच्चस्तरीय जांच कराई जाए और दोषी अधिकारियों के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई की जाए। साथ ही उक्त विवादित भूमि को पुनः ग्राम समाज में समाहित करने की मांग की गई है। यह मामला केवल जाति छिपाकर जमीन बेचने तक सीमित नहीं है, बल्कि प्रशासनिक तंत्र की निष्क्रियता और भ्रष्टाचार की गंध भी साफ तौर पर आती है।

