शैलेन्द्र साहित्य सरोवर की 394 वीं साप्ताहिक रविवासरीय काव्य गोष्ठी शहर के मुराइन टोला स्थित हनुमान मंदिर में शैलेन्द्र साहित्य सरोवर के बैनर तले 394 वीं साप्ताहिक रविवासरीय सरस काव्य गोष्ठी का आयोजन के. पी. सिंह कछवाह की अध्यक्षता एवं शैलेन्द्र कुमार द्विवेदी के संचालन में हुआ । मुख्य अतिथि के रूप में मंदिर के पुजारी जी स्वामी भार्गव महाराज उपस्थित रहे ।
काव्य गोष्ठी का शुभारंभ करते हुए के. पी . सिंह कछवाह ने वाणी वंदना मे अपने भाव प्रसून प्रस्तुत करते हुए कहा- मां शारदे, वरदान दे।
नफरत मिटे, नवप्रीति दे, सद्धर्म का यशगान दे। मां शारदे, वरदान दे।
पुनः कार्यक्रम को गति देते हुए काव्य पाठ में कुछ इस प्रकार से अपने अंतर्भावों को प्रस्तुत किया- शिव आराधन का समय, पावन सावन मास।
कृपा पाइए नाथ की, कर जप- तप, उपवास ।।
डा. सत्य नारायण मिश्र ने अपने भावों को एक छंद के माध्यम से कुछ इस प्रकार व्यक्त किया – साधू ऐसा चाहिए, सच्चे सील सुभाय।
राम नाम में रमि रहे, और नहीं कछु चाह।।
उमाशंकर मिश्र ने अपने भावों को मुक्तक में कुछ इस प्रकार पिरोया- मेरी जिंदगी का कोई, अब ना रहा ठिकाना।
तन्हा वो कर गए हैं, जिन्हें साथ था निभाना।।
प्रदीप कुमार गौड़ ने अपने क्रम में काव्य पाठ में कुछ इस प्रकार भाव प्रस्तुत किये – एक बड़ा सा नाम जुड़ गया ,भारत- गौरव- गान में।
गाड़ दिया झंडा शुभांशु ने, अंतरिक्ष- संधान में ।।
डॉ शिव सागर साहू ने काव्य पाठ में अपने भावों को कुछ इस प्रकार शब्द दिए – याद कारगिल आ रही, मास जुलाई मांहि ।
जिनने पाई वीरगति,कीर्ति ध्वजा फहराहि ।।
काव्य गोष्ठी के आयोजक एवं संचालक शैलेन्द्र कुमार द्विवेदी ने अपने भाव एक गीत के माध्यम से कुछ यों व्यक्त किये- महादेव जैसा नहीं, कोई दूजा देव।
जो औरों को अमृत दे , विष पी ले स्वयमेव।।
कार्यक्रम के अंत में स्वामी जी ने सभी को आशीर्वाद प्रदान किया । आयोजक ने आभार व्यक्त किया ।