फतेहपुर जिले की मलवां थाना क्षेत्र के अंतर्गत बरमतपुर गांव में दलित परिवार के गिराए गए मकान के मामले में भले ही तूल पकड़ हो और दलित परिवार को स्थापित किए जाने की कार्यवाही शुरू हुई हो लेकिन हकीकत पूरे मामले की कुछ और है कि पूरे मामले में जिस लेखपाल ने धारा 67 के तहत कार्रवाई की उनके उसके खिलाफ सरकारी तंत्र ने कोई भी कार्रवाई नहीं की इतना ही नहीं बताया तो यहां तक जाता है कि इस बहुचर्चित प्रकरण में धारा 67 के तहत कार्रवाई की रिपोर्ट देने वाला संबंधित लेखपाल भी कोई आम लेखपालों में नहीं है प्रदेश में समाजवादी पार्टी के एक सांसद का रिश्तेदार है और एक अधिकारी के इशारे पर उसे गांव भेजा गया था जबकि बरमदपुर गांव के हल्के के लेखपाल को भी इस रिपोर्ट को उच्च अधिकारियों को दे सकते थे लेकिन हल्के के लेखपाल को भनक तक नही रही और उसके क्षेत्र में धारा 67 की कार्यवाई दूसरे लेखपाल की रिपोर्ट पर की गई यह बड़ा सवाल खड़ा हो जाता है सूत्रों का दावा है कि जब धारा 67 की रिपोर्ट के बाद 16 जुलाई को राजस्व की टीम ने दलित परिवार के मकान को गिरा दिया और राजस्व टीम की मनमानी साबित हुई तो इस मामले में तूल पकड़ लिया इतना ही नहीं बताते तो यहां तक इसी धारा 67 की कार्रवाई करने वाली लेखपाल ने ही बाकायदा जिले के जनप्रतिनिधियों को संपूर्ण दस्तावेज भी सौंप थे और यही से राजनीति की कहानी भी शुरू हो गई जानकारी सूत्रों का कहना है कि इस राजस्व कर्मचारी को बचाने के लिए भाजपा के ही एक दिक्कत नेता ने लाखों रुपए की डील की है यही वजह है कि अभी तक इस राजस्व कर्मचारी के खिलाफ कोई भी एक्शन नहीं हो पाया है चर्चा तो यहां तक है को एक अधिकारी ने इस पूरी पत्रवाली को ही अपने पास रख लिया कुछ दिनों पूर्व इसे एक जिम्मेदार अधिकारी ने सस्पेंड किया था उसके बावजूद भी वह हाई कोर्ट पहुंचकर अपने सस्पेंशन आदेश को बहाल करवाया लाया था उसके बाद से उसकी राजस्व टीम के बीच तूती बोलती है साथ ही प्रदेश के सपा के सांसद का रिश्तेदार होने की वजह से अफसर से लेकर के राजनीतिक हल्को तक भी उसकी मजबूत पकड़ बनी है भाजपा की जिस दिक्कत नेता से लाखों की डील हुई उसका नाम भी चर्चा में है इस पूरे मामले में परदे के पीछे के मास्टरमाइंड के खिलाफ यही वजह है कि अभी तक कोई भी कार्यवाही नहीं जिससे तरह-तरह की चर्चाओं का बाजार गर्म है। सूत्रों का तो यहाँ तक दावा है कि शहर के एक बहुचर्चित हत्याकांड के मामले में भी इस लेखपाल का नाम उभर कर सामने आया था।
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दलित परिवार का घर गिराने के मामले में धारा 67 की रिपोर्ट देने वाले को मिली क्लीन चिट,BJP के एक दिग्गज नेता से लाखों की डील चर्चा में,दूसरे हल्के के राजस्व कर्मी ने कैसे की धारा 67 की कार्यवाई।
