फतेहपुर- जिले के मलवां थाना क्षेत्र के बरमतपुर गांव में 16 जुलाई को दलित परिवार के घर बुलडोजर से गिराए गए मकानों के मामले में बड़ी कार्यवाई शुरू हो गयी है पूरे मामले में अनुसूचित जाति के 5 लोगों के घर घर गिराए गए थे गाटा संख्या 36 पर था बेदखली का आदेश, लेकिन गिरा दिए गए गाटा संख्या 52 के मकान
जिलाधिकारी की रिपोर्ट के बाद हुआ एक्शन लेखपाल अनुप सिंह निमंबित, कानूनगो आशिष पटेल पर कार्रवाई की संस्तुति, नायब तहसीलदार घूरे लाल भी हटाए गए
एसडीएम द्वारा निरीक्षण में चूक पाए जाने पर की गई निलंबन की कार्रवाई BJP नेताओं ने उठाई थी आवाज प्रशासन ने लिया संज्ञान अब तक की सबसे बड़ी प्रशासनिक कार्रवाई।
क्या था मामला।
फतेहपुर जिले की मलवां थाना क्षेत्र के अंतर्गत बरमतपुर गांव में दलित परिवार के गिराए गए मकान के मामले में गुरुवार को फिर पीड़ित परिवार कलेक्ट्रट पहुँचे और न्याय की गुहार लगाई पूरे मामले में भले ही तूल पकड़ा हो और दलित परिवार को स्थापित किए जाने की कार्यवाही शुरू हुई हो लेकिन हकीकत पूरे मामले की कुछ अभी तक पीड़ित परिवार को न्याय नहीं मिला है
साथ ही पूरे मामले में जिस लेखपाल ने धारा 67 के तहत कार्रवाई की उसके खिलाफ सरकारी तंत्र ने एक्शन ले लिया इस बहुचर्चित प्रकरण में धारा 67 के तहत कार्रवाई की रिपोर्ट देने वाला संबंधित लेखपाल भी कोई आम लेखपालों में नहीं है प्रदेश में समाजवादी पार्टी के एक सांसद का रिश्तेदार है और एक अधिकारी के इशारे पर उसे गांव भेजा गया था जबकि बरमदपुर गांव के हल्के के लेखपाल को भी इस रिपोर्ट को भी उच्च अधिकारी दे सकते थे लेकिन हल्के के लेखपाल को भनक तक नही रही और उसके क्षेत्र में धारा 67 की कार्यवाई दूसरे लेखपाल की रिपोर्ट पर की गई। सूत्रों का दावा है कि जब धारा 67 की रिपोर्ट के बाद 16 जुलाई को राजस्व की टीम ने दलित परिवार के मकान को गिरा दिया और राजस्व टीम की मनमानी साबित हुई तो इस मामले में तूल पकड़ लिया इतना ही नहीं बताते तो यहां तक इसी धारा 67 की कार्रवाई करने वाली लेखपाल ने ही बाकायदा जिले के जनप्रतिनिधियों को संपूर्ण दस्तावेज भी सौंप थे और यही से राजनीति की कहानी भी शुरू हो गई। जानकारी।
क्या होगा BJP नेता की डील का
सूत्रों का कहना है कि इस राजस्व कर्मचारी को बचाने के लिए भाजपा के ही एक दिक्कत नेता ने लाखों रुपए की डील की है यही वजह है कि अभी तक इस राजस्व कर्मचारी के खिलाफ कोई भी एक्शन नहीं हो रहा था लेकिन अब एक्शन हो जाने कब बाद डील का क्या होगा बड़ा सवाल खड़ा हो जाता है। चर्चा तो यहां तक है एक अधिकारी ने इस पूरी पत्रवाली को ही अपने पास रख लिया। निलंबित हुए लेखपाल को कुछ दिनों पूर्व एक जिम्मेदार अधिकारी ने सस्पेंड किया था उसके बावजूद भी वह हाई कोर्ट पहुंचकर अपने सस्पेंशन आदेश को बहाल करवाया लाया था उसके बाद से उसकी राजस्व टीम के बीच तूती रही है साथ ही प्रदेश के सपा के सांसद का रिश्तेदार होने की वजह से अफसर से लेकर के राजनीतिक हल्को तक भी उसकी मजबूत पकड़ बनी है। सूत्रों का तो यहाँ तक दावा है कि शहर के एक बहुचर्चित हत्याकांड के मामले में भी इस लेखपाल का नाम उभर कर सामने आया था।