फतेहपुर- जिले के बहुचर्चित की बरमतपुर गांव में बिकलांग दलितों के गिराए गए मकान के मामले में एक बार फिर से नया मोड़ आ गया है पूरे मामले में जिन संलिप्त अधिकारियों कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई हुई लेकिन उसमें कार्यवाहक तहसीलदार के खिलाफ कार्यवाही ना होने से भारतीय जनता पार्टी के पूर्व जिला अध्यक्ष आशीष मिश्रा ने कड़ी आपत्ति जताई है उन्होंने शासन को बाकायदा एक शिकायती प्रार्थना पत्र भेज कर कहा है कि इस पूरे मामले में कार्यवाहक तहसीलदार अमरेश सिंह की भूमिका संदिग्ध है इन्होंने बकायदा पत्रावली को दबाने का कार्य किया और इनको पूरी कार्रवाई में कहि न कही भूमिका है जिससे उनके खिलाफ भी कार्रवाई की जानी चाहिए उन्होंने कहा कि अब तक जो शासन द्वारा कार्रवाई की गई है वह पूरे तरीके से सराहनी है लेकिन कार्यवाहक तहसीलदार के खिलाफ भी कार्रवाई होनी चाहिए जिले के मलवां थाना क्षेत्र के बरमतपुर गांव में 16 जुलाई को बिकलांग दलित परिवार के घर बुलडोजर से गिराए गए मकानों के मामले में बड़ी कार्यवाई शुरू हो गयी है पूरे मामले में अनुसूचित जाति के 5 लोगों के घर घर गिराए गए थे गाटा संख्या 36 पर था बेदखली का आदेश, लेकिन गिरा दिए गए गाटा संख्या 52 के मकान
जिलाधिकारी की रिपोर्ट के बाद हुआ एक्शन लेखपाल अनुप सिंह निमंबित, कानूनगो आशिष पटेल पर कार्रवाई की संस्तुति, नायब तहसीलदार घूरे लाल भी हटाए गए
एसडीएम द्वारा निरीक्षण में चूक पाए जाने पर की गई निलंबन की कार्रवाई BJP नेताओं ने उठाई थी आवाज प्रशासन ने लिया संज्ञान अब तक की सबसे बड़ी प्रशासनिक कार्रवाई।

क्या था मामला।
फतेहपुर जिले की मलवां थाना क्षेत्र के अंतर्गत बरमतपुर गांव में दलित परिवार के गिराए गए मकान के मामले में गुरुवार को फिर पीड़ित परिवार कलेक्ट्रट पहुँचे और न्याय की गुहार लगाई पूरे मामले में भले ही तूल पकड़ा हो और दलित परिवार को स्थापित किए जाने की कार्यवाही शुरू हुई हो लेकिन हकीकत पूरे मामले की कुछ अभी तक पीड़ित परिवार को न्याय नहीं मिला है
साथ ही पूरे मामले में जिस लेखपाल ने धारा 67 के तहत कार्रवाई की उसके खिलाफ सरकारी तंत्र ने एक्शन ले लिया इस बहुचर्चित प्रकरण में धारा 67 के तहत कार्रवाई की रिपोर्ट देने वाला संबंधित लेखपाल भी कोई आम लेखपालों में नहीं है प्रदेश में समाजवादी पार्टी के एक सांसद का रिश्तेदार है और एक अधिकारी के इशारे पर उसे गांव भेजा गया था जबकि बरमदपुर गांव के हल्के के लेखपाल को भी इस रिपोर्ट को भी उच्च अधिकारी दे सकते थे लेकिन हल्के के लेखपाल को भनक तक नही रही और उसके क्षेत्र में धारा 67 की कार्यवाई दूसरे लेखपाल की रिपोर्ट पर की गई। सूत्रों का दावा है कि जब धारा 67 की रिपोर्ट के बाद 16 जुलाई को राजस्व की टीम ने दलित परिवार के मकान को गिरा दिया और राजस्व टीम की मनमानी साबित हुई तो इस मामले में तूल पकड़ लिया इतना ही नहीं बताते तो यहां तक इसी धारा 67 की कार्रवाई करने वाली लेखपाल ने ही बाकायदा जिले के जनप्रतिनिधियों को संपूर्ण दस्तावेज भी सौंप थे और यही से राजनीति की कहानी भी शुरू हो गई। जानकारी।